- Class: 8
- Subject: Hindi
- Topic: Rahim Ke Dohe ( रहीम के दोहे )
- Lesson Plan Type: Microteaching ( सुक्षम पाठ योजना )
- Skill: Explanation Skill ( व्याख्या कौशल )
Note: निचे दिया गया हिंदी लेसन प्लान केवल एक उदाहरण मात्र है| जिसमे कक्षा, नाम, कोर्स, दिनांक इत्यादि में बदलाव करके आप अपनी सुविधा के अनुसार काम में ला सकते है|

Date: | Duration Of The Period: |
Students Teacher Name: | Pupil Teacher's Roll Number: |
Class: | Average Age Of the Students: |
Subject: | Topic: |
छात्राध्यपिका क्रियाएं: | छात्र-क्रियाएं: |
"कही रहीम संपति सगे,
बनत बहुत बहु रीत| बिपति कसौटी जे कसे, तेई सांचे मीत !!" प्रश्न: कसौटी का क्या अर्थ है? बहुत अच्छे ! |
बच्चे उत्तर देंगे|
कसौटी का अर्थ परीक्षा होता है |
संदर्भ: प्रस्तुत पक्तियां रहीम दास द्वारा रचित "साखी" शीर्षक से ली गई है|
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियों में सच्चे मित्र के महत्व को बताया है| सच्चे मित्र व दुर्जन व्यक्तियों पर चर्चा की गई है, तथा समाज पर इसके प्रभाव को दर्शाया गया है| व्याख्या: रहीम ने सच्चे मित्र के संबंध में बताया गया है, कि संपत्ति रहने पर तो सब लोग अपने बन जाते हैं, परंतु सच्चा मित्र वही होता है, जो संकट के समय हमारा साथ दें| संकट के समय में ही अपने और पराए की पहचान होती है| |
|
प्रश्न: रहीम ने किस के बारे में बताया है?
इसके विपरीत जो लोग सिर्फ सुख संपत्ति होने पर हमारा अपना बनने का दिखावा करते हैं, संकट के समय उनका अपनत्व तो ढूंढे नहीं मिलता| |
रहीम ने सच्चे मित्र के बारे में बताया है| |
प्रश्न: संकट किस की पहचान करवाता है अतएव व्यक्ति को सदा उन लोगों से मित्रता करनी चाहिए, जो संकट के समय हमारे साथ खड़े हो| |
सच्चे मित्रों की |
प्रश्न: रहीम के इस दोहे को कहां से लिया गया है| |
रहीम के इस दोहे को "साखी" से लिया गया है| |
प्रश्न: रहीम ने किन को सच्चा मित्र बताया है| |
जो संकट के समय साथ दें| |
प्रश्न: पैसा रहने पर कौन संबंधी बन जाता है? |
स्वार्थी लोग पैसा रहने पर संबंधी बन जाते हैं| |
निरीक्षण अनुसूची एवं रेटिंग स्केल:
क्रम संख्या: | घटक: | रेटिंग स्केल: |
1. | संक्षिप्तता | 0 1 2 3 4 5 |
2. | सार्थकता | 0 1 2 3 4 5 |
3. | स्पष्टता | 0 1 2 3 4 5 |
4. | विशिष्टता | 0 1 2 3 4 5 |
5. | व्याकरणिक शुद्धता | 0 1 2 3 4 5 |
6. | आवाज का उतार चढ़ाव | 0 1 2 3 4 5 |
7. | भाव केन्द्रीकरण | 0 1 2 3 4 5 |
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